What is the reason of eye problem?

: आंखों की बनावट परिचय- मनुष्य के पास किसी भी वस्तु को देखने के लिए जो आंखें होती हैं, उन आंखों की बनावट आकृति में जितनी छोटी होती है, वह उतनी ही सूक्ष्म होती है। आंखों की बनावट की दृष्टि से इसे तीन भागों में विभाजित किया जा सकता है- 1. श्वेत मंडल- यह आंख का बाहरी भाग होता है जो कुछ मोटा होने के कारण आंख के अन्दर के भागों की रक्षा भी करता है। इस भाग से जुड़ा कनीनिका और स्वच्छ मंडल होता है और इस भाग की पांच तह होती हैं। यह भाग पारदर्शक भी होता है। इस भाग के द्वारा ही आंखों को देखने की शक्ति मिलती है। 2. कोरायड- श्वेत भाग के पास जो भाग होता है उसमें छोटी-छोटी रक्तकोशिकाओं का जाल सा बिछा रहता है। इस भाग को कोरायड कहते हैं। इस भाग के द्वारा ही आंखों को खून मिलता है। 3. छायापट- कोरायड भाग के साथ लगे मध्यपटल में उपतारा होता है और इसके साथ जुड़े भाग को छायापट कहते हैं। आंखों के रोग- यदि आंखों में किसी प्रकार का इन्फैक्शन हो जाता है तो इस कारण से आंखों में अनेक प्रकार के रोग हो जाते हैं। जिसकी वजह से व्यक्ति को देखने में काफी दिक्कत होने लगती है। कभी-कभी इस रोग के कारण व्यक्ति अंधा भी हो जाता है। आंखों में कोई रोग हो जाने के कारण रोगी को अपने चारो ओर अंधेरा ही अंधेरा दिखने लगता है। आंखों में रोग होने के कारण अनेक होते हैं जो इस प्रकार है- धूल और धुएं वाली जगहों पर काम करने से आंखों में किसी तरह का रोग हो सकता है। गर्म पदार्थों तथा नशीले पदार्थों का ज्यादा सेवन करने से आंखों में रोग हो सकता है। अधिक चिंता-फिक्र करने से आंखों में किसी प्रकार का रोग हो सकता है। दिमाग पर किसी तरह की तेज चोट लग जाने के कारण भी आंखों में किसी प्रकार का रोग हो सकता है। अधिक वीर्यपात (वीर्य को नष्ट) होने से भी आंखों में रोग हो सकते हैं। कम रोशनी या अधिक रोशनी में काम करने के कारण भी आंखों में रोग हो सकते हैं। पेशाब सम्बन्धी रोग या मधुमेह रोग हो जाने के कारण आंखों में किसी प्रकार का रोग हो सकता है। बहुत करीब से टी.वी. देखने से भी आंखों की रोशनी कम हो सकती है। समय पर नींद न आने के कारण भी आंखों में रोग हो सकते हैं। कब्ज की शिकायत होने के कारण भी आंखों में कई तरह के रोग हो जाते हैं। आंखों की सही तरीके से देखभाल न करने के कारण भी आंखों में रोग हो सकते हैं। शरीर में विटामिन `ए´ की मात्रा कम हो जाने के कारण भी आंखों का रोग हो सकता है। गर्म प्रकृति के कारण भी आंखों की रोशनी कम हो सकती है। आंखों में रोग होने का वंशानुगत कारण भी हो सकता है। गुर्दे अगर ठीक प्रकार से कार्य नहीं करते हैं तो भी आंखों में किसी प्रकार के रोग हो सकते हैं। आंखों के विभिन्न रोग- मनुष्य की आंखों का आकार तो बहुत छोटा होता है लेकिन इन आंखों की अगर सही तरीके से देखभाल न की जाए तो आंखों में अनेक रोग हो सकते हैं और यह आंखों के रोग व्यक्ति को किसी भी उम्र में हो सकते हैं। एक्यूप्रेशर चिकित्सा के द्वारा आंखों के विभिन्न प्रकार के रोगों का उपचार किया जा सकता है जो इस प्रकार है- 1. निकट दृष्टि दोष (हाइपरमेटरोपिया-हाइपरोपिया-लोंग साइट)- यदि आंखों में यह रोग हो जाता है तो व्यक्ति को अपने आस-पास की धुंधली दिखाई देती है। कभी-कभी इस प्रकार का रोग बच्चे के जन्म लेते ही बच्चे को हो जाता है। 2. दूर दृष्टि दोष (मायोपिया-शोर्ट साइट)- यदि किसी व्यक्ति को यह रोग हो जाता है तो उस व्यक्ति को दूर की वस्तुएं धुंधली दिखाई देने लगती है। कभी-कभी तो इस रोग के कारण व्यक्ति को दूर की वस्तुएं दिखाई ही नहीं देती है। 3. दीर्घदृष्टिता दोष (प्रेसबायोपिया-ओल्ड साइट)- यह रोग अधिकतर बुढ़ापे की अवस्था में होता है। इस रोग से ग्रस्त व्यक्ति को दूर की वस्तुएं तो ठीक से दिखाई देती है, पर नजदीक की वस्तुएं साफ दिखाई नहीं देती। 4. अनियमित दृष्टि (असटीगमेटीसम-डिसटोरटड विजन कोसड बाय अनेवन करवेटर ऑफ दी क्रोनिया)- इस रोग से ग्रस्त व्यक्ति को बिना चश्मा लगाए दूसरी वस्तुओं कों देखने के लिए आंखों की मांसपेशियों पर काफी दबाव देना पड़ता है। इस रोग के कारण भी रोगी को धुंधलापन दिखाई देता है। 5. रतौंधी (नाइट-ब्लाइण्डनैस)- इस रोग के हो जाने पर रोगी व्यक्ति को रात के समय में कुछ भी नहीं दिखाई देता है। यह रोग पौष्टिक भोजन की कमी के कारण होता है। 6. दिनौंधी (डे-बलाइंडनैस)- इस रोग के हो जाने पर रोगी व्यक्ति को दिन के समय में कुछ भी नहीं दिखाई देता है। अगर दिखता भी तो धुंधला-धुंधला। 7. डिपलोपिया (डिपलोबिया)- इस रोग से ग्रस्त व्यक्ति को एक ही चीज दो-दो रूपों में दिखाई देने लगती है। 8. रंगों का अन्धापन (कलर-ब्लाइण्डनैस)- इस रोग से पीड़ित व्यक्ति को आंखों से देखने पर रंगों की पहचान नहीं हो पाती है। 9. ग्लूकोमा (ग्लोकोमा)- इस रोग के कारण रोगी व्यक्ति की आंख के गोलक के अन्दर तनाव बढ़ जाता है जिसके कारण उसकी नजर धुंधली पड़ जाती है तथा सिर में दर्द होने लगता है। यह रोग अधिकतर 40 वर्ष से अधिक उम्र के लोगों को होता है। अगर इस रोग का इलाज समय पर न कराया जाए तो रोगी व्यक्ति अंधा भी हो सकता है। 10. मोतियाबिन्द (कैटरैक्ट)- इस रोग के कारण आंख में पाये जाने वाला आंख का पारदर्शी लेन्स धीरे-धीरे अपारदर्शी बन जाता है। इस प्रकार लेन्स की अपारदर्शिता दोनों आंखों में होती है। यह रोग अधिकतर बुढ़ापे के समय में होता है। कभी-कभी लेन्स की अपारदर्शिता एक आंख में पहले तथा दूसरी आंख में बाद में हो सकती है। मोतियाबिन्द जब बिलकुल पक जाता है तो उसका ऑपरेशन कराना जरूरी हो जाता है। आपरेशन से इस रोग के कारण होने वाले अंधेपन को रोका जा सकता है। रोगी के इस रोग का उपचार एक्यूप्रेशर चिकित्सा से भी किया जा सकता है। इन रोगों के अलावा भी आंखों में विभिन्न प्रकार के रोग हो सकते हैं- आंख आना, आंख से आंसू निकलना, आंखों से पानी बहना। आंखों में पाए जाने वाले रेटिना में सूजन आना। आंखों की नसों में सूजन तथा दर्द होना। आंखों की ऊपरी पलकों का नीचे गिर जाना। आंखों की पुतली में सूजन हो जाना। आंखों के पास की पलकों में सूजन तथा पलकों के नीचे फुंसी-घाव हो जाना। आंखों से रोशनी सहन न होना। आंखों का सूज जाना तथा दर्द होना। आंखों के आस-पास काले रंग के धब्बे पड़ जाना। आंखों की रोशनी कम हो जाने पर सिर में दर्द होना। आंख के पास में पाये जाने वाले भाग में उभार हो जाना। अन्धापन हो जाना या आंखों से कुछ भी दिखाई न देना। रोशनी के चारों-ओर रंग-बिरंगे घेरे दिखाई देना। आंख लाल हो जाना, आंखों में दर्द होना। एक्यूप्रेशर चिकित्सा के द्वारा आंख सम्बन्धी रोगों का उपचार-  आंखों से सम्बन्धित रोगों का उपचार करने के लिए आंख और मस्तिष्क को जोड़ने वाली ओप्टिक नर्व का संचालन करने वाली ग्रन्थि पर पाये जाने वाले बिन्दु पर प्रेशर देने से आंख के बहुत सारे रोग ठीक हो जाते हैं। इसके अलावा सुबह के समय में चार गिलास से 1 गिलास बनाए हुए सोने-चांदी-तांबे का सवित पानी प्रतिदिन पीने से इस रोग में बहुत लाभ मिलता है। एक्यूप्रेशर चिकित्सा के द्वारा आंखों के रोगों का उपचार करने के लिए सबसे पहले आंखों से सम्बन्धित प्रमुख प्रतिबिम्ब बिन्दुओं को जान लेना आवश्यक है। (प्रतिबिम्ब बिन्दु पर दबाव डालकर एक्यूप्रेशर चिकित्सा द्वारा इलाज करने का चित्र)  एक्यूप्रेशर चिकित्सा के द्वारा उपचार करने के लिए आंखों से सम्बन्धित प्रतिबिम्ब बिन्दु दोनों हाथों तथा पैरों की अंगुलियों में होते हैं जैसा कि चित्र में दिया गया है। इन चित्रों के अनुसार अगर रोगी व्यक्ति अपने पैरों तथा हाथों की अंगुलियों पर प्रेशर देता है तो उसके आंखों के बहुत सारे रोग दूर हो जाते हैं। इसके लिए रोगी को किसी अच्छे एक्यूप्रेशर चिकित्सक के द्वारा अपना उपचार कराना चाहिए क्योंकि एक्यूप्रेशर चिकित्सक को सही तरीके से प्रेशर देने का अनुभव होता है तथा वह सही तरीके से आंखों के रोगी का उपचार कर सकता है। आंखों के विभिन्न रोगों से पीड़ित व्यक्ति को अपने रोग का उपचार करने के साथ-साथ अपनी आंखों की सही तरीके से देख-भाल भी करनी चाहिए। रोगी को अपने भोजन में विटामिन `ए` तथा `डी` की मात्रा का सेवन अधिक करना चाहिए। यदि रोगी को कब्ज की शिकायत होती है तो उसको तुरंत इसका उपचार करना चाहिए। आंखों के रोग से पीड़ित व्यक्ति को नशीले पदार्थों का सेवन नहीं करना चाहिए। रोगी को अपने भोजन में हरी सब्जियां, टमाटर, अंडे की जर्दी, घी तथा पीले फल का उपयोग करना चाहिए क्योंकि इन पदार्थों में विटामिन `ए` अधिक मात्रा में पाया जाता है तथा मछली के जिगर का तेल, अंडे तथा दूध का अपने भोजन में प्रयोग करना चाहिए क्योंकि इन पदार्थों में विटामिन `डी´ ज्यादा मात्रा में पाया जाता है।  आंखों के रोगों से बचने के लिए आंखों को तेज रोशनी से बचाना चाहिए, कम रोशनी में पढ़ना-लिखना नहीं चाहिए, धूल-धुंए से आंखों को बचाना चाहिए, अपनी आंखों को रोजाना सुबह और शाम साफ पानी से धोना चाहिए, सुबह के समय में नियमित रूप से सैर के लिए जाना चाहिए। इसके अलावा आंखों में गुलाबजल डालने से भी आंखों में रोग होने से बचा जा सकता है। इसलिए महीने में कम से कम 2-3 बार आंखों में गुलाबजल डालना चाहिए। मगर यह ध्यान रखना चाहिए कि गुलाबजल बिल्कुल साफ हो। आंखों के रोग से पीड़ित व्यक्ति अगर अपने सिर तथा शरीर की रोजाना मालिश करे तो आंखों के रोग जल्दी ठीक हो जाते हैं। मालिश करते समय अपनी आंखों को अधिक खोलना चाहिए तथा अपनी आंखों को किसी एक वस्तु पर केन्द्रित नहीं करना चाहिए। भोजन में विभिन्न प्रकार की चीजों का इस्तेमाल करने से आंखों में रोग होने का खतरा नहीं रहता है- भोजन में गाजर का उपयोग करने से शरीर की कमजोरी दूर होती है तथा आंखों के रोग दूर हो जाते हैं। भोजन में हरी सब्जियों का सेवन करने से आंखों के रोग ठीक हो जाते हैं क्योंकि हरी सब्जियों में विटामिन `ए` ज्यादा मात्रा में पाया जाता है। मूंग की दाल, दही, छाछ तथा पालक का सेवन करने से आंखों के रोगों को ठीक करने में बहुत लाभ मिलता है। भोजन में विटामिन `डी` वाले पदार्थों का अधिक सेवन करने से आंखों के रोग जल्दी ठीक हो जाते हैं। यदि किसी व्यक्ति को आंखों में रोग हो जाने के कारण चश्मा लगाना पड़ता है तो वह व्यक्ति को चश्मे से छुटकारा पाने के लिए एक्यूप्रेशर चिकित्सा का सहारा ले सकता है। इस चिकित्सा के द्वारा उसको चश्मे से छुटकारा मिल सकता है। चश्मे से छुटकारा पाने के लिए एक्यूप्रेशर चिकित्सा के द्वारा उपचार- एक्यूप्रेशर चिकित्सा के द्वारा नियमित रूप से अपने शरीर पर पाए जाने वाले आंखों से सम्बन्धित बिन्दुओं पर प्रेशर देने से आंखों पर लगे चश्मे को हटाया जा सकता है। लेकिन इस दौरान मनुष्य को उपचार के साथ-साथ धैर्य रखने की भी जरूरत होती है क्योंकि आंखों के रोग को दूर करने में कई महीनों का समय लग सकता है तथा व्यक्ति को उपचार करने के साथ-साथ कुछ भोजन सम्बन्धी परहेज भी करना पड़ सकता है तथा आंखों की सही तरीके से देखभाल करने की जरूरत होती है। इस प्रकार आंखों की देखभाल करने से रोगी की आंखों पर से चश्मा कुछ ही महीनों में हट सकता है। इस प्रकार कहा जा सकता है कि एक्यूप्रेशर चिकित्सा के द्वारा आंखों के अनेक रोगों का इलाज आसानी से किया जा सकता है। इस चिकित्सा के द्वारा इलाज कराने से आंखों के बहुत से रोग तो केवल कुछ ही दिनों में दूर हो जाते हैं तथा कुछ रोगों को ठीक होने में कई महीनों का समय लग सकता है। लेकिन फिर भी एक्यूप्रेशर चिकित्सा के द्वारा 10 से 15 दिन तक प्रेशर देने के बाद आंखों के रोगों को ठीक करने में बहुत लाभ मिलता है। आंखों के रोगों को ठीक करने के लिए रोगी को इलाज के समय में थोड़ा धैर्य रखना चाहिए क्योंकि कभी-कभी एक ही तरह के आंखों के रोग को ठीक करने में दो व्यक्तियों को एक सा समय नहीं लगता, किसी का रोग कम समय में ठीक होता है तो किसी का रोग ज्यादा समय में ठीक होता है। यदि किसी व्यक्ति को अपनी आंखों में साधारण रूप से दर्द हो रहा हो तो एक्यूप्रेशर aur acupuncture चिकित्सा के द्वारा उपचार करने से थोड़े ही दिनों में उसकी आंखों का दर्द ठीक हो जाता है। लेकिन नजर सम्बन्धी रोग को ठीक करने में कुछ महीने का समय लग सकता है। इसलिए कहा जा सकता है कि एक्यूप्रेशर चिकित्सा के द्वारा उपचार करने के लिए रोगी का धैर्य रखना भी बहुत जरूरी है।.

Comments

Popular posts from this blog

Why important to 10 benifits of healthy life2023?

Why comes to head pain and what is the reason?

What is acupressure therapy 2023t?